Issue 6

Pollution Letter

मैंने देश की अहम समस्या प्रदूषण पर गम्भीर चिंतन करते हुए हल करने बारे प्रकट कर रहा हू :-

करीब 80 के दशक में देश की सड़कों पर दौड़ने वाले चौपहिया वाहन (कार,जीप) पैट्रोल पर आधारित थे मगर उसके बाद धीरे धीरे पैट्रोल और डीजल के मूल्यों में आया। आय के स्त्रोत कम होने व डीजल आधारित वाहन ही सड़कों पर काफी अन्तर अधिकांरा संख्या में है। उस समय ऐसा किया जाना कितना सही था? क्या उस दौर में लोगों को पैट्रोल और डीजल दोनों ही वर्गों में समानुपात में गाड़िया खरीदनी चाहिए थी? उस दौर में प्रदूषण से होने वाली हानियों का ज्ञान किए वगैर ही लोग डीजल आधारित गाड़िया खरीदते चले गये जिसका परिणाम आज सबके सामने है । जनसाधारण आज भी इस बात से अंजान है कि पैट्रोल अथवा डीजल किससे प्रदूषण फैल रहा है । मेरा परामर्श यह कि पैट्रोल व डीजल के दाम समान कर दिए जायें जिससे लोग समानुपात में पैट्रोल व डीजल की गाड़िया खराद । अनुसार नही बल्कि अपनी जरूरत के अनुसार दोनों ही वर्गा की गाड़ियां चयनित कर सकग और दोनों ही वर्गों की गाड़िया समान संख्या के रूप में विक्रय होगी। आज देश के शहरों, कस्बो व मैट्रो सिटी में उपरोक्त दोनों वर्गों की गाड़ियों की संख्या बेहद अधिक है और निश्चित ही इसमें काफी बढौतरी भी होगी । ऐसे में यदि गाड़ियों की संख्या में इजाफा होता है तो निश्चित ही उसके अनुपात में प्रदूषण में भी बढीतरी होगी । के टामा के आज जरूरत निशेषज्ञों के उन शोधों एतं व्गाख्यानों की भी है जिसमें ते बताएं कि भविष्य में बढ़ने वाली गाड़ियों में पर्यावरण संतुलन के लिए पैट्रोल की गाड़ियां श्रेयस्कर है अथवा डोजल की । उन्होंने लिखा हे कि आज जब चहुंओर प्रदूषण की समस्या विकराल बन पर पहुंचे पर्यावरण असंतुलन के अनेक कारण है। मगर गाडियों से गई है । देश में नरम होने वाला प्रदूषण उनमें से बड़ा कारक है । वातावरण, मानवीय स्वास्थ्य एवं जीव जन्तुओं पर असतुलित प्यागयवरण के पड़ रह विपरात प्रभाव के नलत अब तक्त है कि दश में इस मद पर गम्भीर नितन हाना चाहिए ।

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