Issue 3

बिना योजना बनाए जा रहे है गांवों में मकान

आजादी के 68 वर्षों के बाद और 21वीं सदी के दौर में भी ग्रामीण क्षेत्रों में भवन निर्माण एवं विनिर्माण का काम निपुण इंजीनियरों एवं आर्किटेक्ट के दिशा-निर्देशों के बिना किया जा रहा है जिसके चलते गंभीर परिणाम पैदा हो रहे है । निपुण इंजीनियरों एवं आर्किटेक्ट की सलाह के बिना निर्माण से जहां जरूरी साधनों की बर्बादी हो रही है, वही उपयोगी एवं बेशकीमती जगह की बर्बादी भी हो रही है । इस प्रकार ग्रामीण अंचल के लोगों के पास सीमित साधनों के बावजूद व्यक्तिगत तौर पर फिजूलखर्ची स्थान ले रही है । केवल मात्र चंद रूपयों के खर्च से निपुण इंजीनियर या आरकिटेक्ट की सलाह व दिशा-निर्देश से ग्रामीण क्षेत्र में निर्माण में भारी बचत की जा सकती है नगट की बर्बादीं को रोका जा सकता है । समाजसेवी गुरविन्द्र सिंह घुम्मण ने ग्रामीण क्षेत्रों में हो रही इस अप्रत्यशित बबादी का मुदा उठाते हुए कहा कि पिछले दिनों वे जब जिले के गांव रंगड़ी सहित अन्य निकटवती गांवों में गए तो तो लोगों ने जिस तरह से अपने भवनों का निर्माण किया हुआ था वो सरासर ज्ञान के अभाव में जगह और पैसे की बर्बादी का एक नमूना था। इस मकानों में कवर्ड और ओपन स्पेस का अनुपात बेहद गलत था, कमरों के साथ-साथ दरवाजे व खिड़कियों के साइज गलत गलत होने के साथ-साथ उनकी प्लेसिंग भी बेहद अजीब थी । इसी प्रकार कुशल इंजीनियरों व आ्किटेक्ट की सलाह लिए बिना बनाए गए इन स्थानों पर मकानों को बनाने में जगह की बेहद बर्बादी की गई थी। जब इन मकान मालिकों से पूछा गया तो उन्होंने अपनी जुबानी बताया कि गांव में फलां घर अच्छा लगा और हमन उसका नकल कर ली या फिर गांव के किसी मिस्त्री के कहने चा किसी अनाज को सलाह पर घर बना लिया । उन्होंने कहा कि निपुण सलाहकार जहां बढ़िया निर्माण का दिशा-निर्देश देते हैं और भवन मालिकों की जरूरत के अनुसार ही निम्माण का खाका तैयार करते हैं । गुरविन्द्र सिंह घुमण ने कहा कि आज के युग में लोगों के पास जगह थोड़ी है, साधन, पैसा और समय समिति है। ऐसे में निर्माण कार्य यदि व्यवस्थित ढंग से इंजीनियर व आर्कऔक्ट की देखरेख में अगर किया जाए तो ग्रामीण क्षेत्र का अपेक्षाकृत अधिक विकास होगा और तो ओर भारत सरकार व हरियाणा को चाहिए कि वह इसे ग्रामीण विकास योजना का हिस्सा बना ले और प्रदेश सरकारे भवन निर्माण सम्बन्धित विभाग सृजित करें जो भवन निर्माण के सम्बन्ध में लोगों को जानकारी प्रदान कर सके। ताकि इन चरों की मियाद व रिसेल वैल्यू वढ़े ।

Identified rural Indian issues associated with construction, agriculture, and revenue/property ownership.
Construction: Year after year,, new constructions & reconstructions of houses, especially, in rural India are being done without the expertise of trained engineers and architects. Failure to utilize these trained personnel results in waste of valuable resources, usable space, improper ventilation system (doors and windows) and most importantly unavoidable expenditures that are incurred by the person with limited funds at his disposal. This sort of wastage can be avoided by seeking the help of reasonably affordable architects & engineers (approx. 1000-3000 Rs to hire) to cut down the cost of building in rural areas. These personnel would help to provide efficient construction planning, tailored according to the requirements of every individual house owners. In addition, the efficient use of space would reduce the total square footage required, increase the long-term value of the investment in the building, as well as make it cost effective.As responsible citizens of India let’s all alongwith (i.e. media, panchayats, sarpanches, television, newspapers etc) join hands with the government to help spread awareness amongst people, that, in today’s technological society, there are affordable means available to assist them with building their dream projects, which are in most cases, a one time investment during any persons lifetime. As a wise person rightfully remarked, “One can get a dress altered as many times as one wants to, but, a house once built is there to stay for years to come.” If the current issues of limited space and limited economics, are dealt with in a smart way, we can together assist in the holistic growth of our country’s rural areas.

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